किसानों को आंदोलन करना पड़ता है, कोर्ट में जाना पड़ता है, रास्ता जाम करना पड़ता है तब जाकर बीमा की राशि मिलती है. अभी 25 नवंबर को भास्कर में खबर छपी है कि मध्य प्रदेश के अशोकनगर ज़िले में 70 किसानों को बीमा का क्लेम मिलेगा वो भी 2016 का, और वो भी उपभोक्ता अदालत के आदेश पर. किसानों ने खेती से ज्यादा चिट्ठी पत्री कर ली, दफ्तरों के चक्कर लगा दिए तब जाकर मिलने का आदेश हुआ है, अभी मिला नहीं है. यही नहीं पिछले साल जो बीमा कंपनी होती है वो इस साल बदल जाती है. यह भी पता चलता है कि बीमा कंपनी ज़िले में अपना प्रतिनिधि नहीं रखते हैं. किसान किससे बात करे, कहां जाए.
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