तालिबान के दोबारा उभरने का सबब भारत के लिए भी है, जहां भी धर्म के सहारे राजनीति होती है, वहां राजनीति का सत्यानाश हो जाता है. धर्म का चेहरा बदल जाता है. देश पीछे चला जाता है. ये बात काबुल के लिए ही नहीं, दिल्ली के लिए भी सही है. बात-बात में काबुल भेजने वाली जमात ही नहीं, उस जमात को खुराक देने वाली भी जमात भी है. तालिबान के तालिबान बनने के राजनीतिक कारणों को समझा जा सकता है. लेकिन उसके आतंकवादी होने को लेकर किसी को संदेह नहीं होना चाहिए.
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