भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे इस टकराव में सबसे ज़ोरदार धमाका किसी बम का नहीं, किसी विमान का नहीं, मिग 21 का नहीं, एफ 16 का नहीं, 1000 किलो के बम का नहीं, दोनों देशों के मीडिया का है. इस पर आऊंगा- पहले मशहूर हिंदी कवि धूमिल की एक पंक्ति सुना दूं- मुझमें सारे समूह का भय, चीखता है दिग्विजय दिग्विजय. ये चीन युद्ध का समय था और हिंदी के लेखक- कवि-पत्रकार सब शहादत और कुरबानी के महान और भारी-भरकम दिखने वाले शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे. तब धूमिल ने इशारा किया था कि क्या कोई सामूहिक डर है, क्या कोई सामूहिक हताशा है जो लोगों को दिग्विजय दिग्विजय चिल्लाने को मजबूर कर रही है? एक कविता और भवानी प्रसाद मिश्र ने लिखी थी.
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