अगर पर्यावरण में घुले ज़हर ने आपको बीमार किया है तो एम्स उसका पता अपने Clinical Ecotoxicology lab से लगा लेगा. मरीज़ के सैंपल से मर्ज़ के कारण का पता चलेगा और कोशिश है कि परिवार का कोई और भी उस वजह से बीमारी की चपेट में न आ पाए. ज़हरीली हवा, पानी या खाने ने अगर आपको बीमार किया है तो एम्स की ये लैब बता देगी. पर्यावरण में घुले ज़हर से होने वाली बीमारी पता लगाने को लेकर देश की ये पहली लैब है. एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि चाहे एयर पॉल्युशन की बात करें. Soil पॉल्युशन की बात करें. वाटर पॉल्युशन की बात करें. जितना प्योर हमारा एनवायरनमेंट 30-40 साल पहले था, वैसा तो अब नहीं रहा. तो जो ज़हर वातारण में मौजूद है और लोगों को बीमार कर रहा है उसका पता अलग अलग सैंपल के ज़रिए लगाया जाए.
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