पता था कि लोगों की नजर उन बैंकों के बहिखाते पर है, जिनके यहां एनपीए लाखों-करोड़ों रुपये का हो चुका है. इस कारण बैंकों को बुरी नजर से देखा जाने लगा था. कब डूबेंगे कब क्या होगा. इसका समाधान निकाल लिया गया है.
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